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क्या भगवान शिव व योगेश्वर श्री कृष्ण योगी नही थे?

अहिंसा , शास्त्र व व्यावहारिक बुद्धि..
Non-violence , Scriptures and Common sense

 

योग दर्शन में योग के 8️⃣ है:- यम , नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा , ध्यान व समाधि।

 

यम व नियम को पुनः 5️⃣ भागों में विभाजित किया गया है।

यम:- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह व ब्रह्मचर्य🔯

नियम:- शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान।✡️

इस लेख में हम यम के पहले अंग की वर्तमान परिपेक्ष्य में समझने👤 का प्रयत्न करेंगे

यम का पहला अंग है अहिंसा|

 

अलग अलग भाष्यकारों व विद्वतजनों ने अहिंसा को अपने अपने शब्दों में परिभाषित किया है।
उन सबका जो अहिंसा के बारे में साझा विचार है वो ये है किसी भी जीव को मन, कर्म, वाणी से दुख अथवा कष्ट ना पहुंचाना✖️

 

अहिंसा के बारे में बात यही खत्म हो जाती है और हम यम के दूसरे अंग की तरफ बढ़ जाते हैं➡️

इस आधे अधूरे अर्थ को लेकर हम आगे बढ़ते गए, इसको प्रचारित करते गए और बड़े बड़े संकटो में फंसते चले गए..

हमने हमारे ऋषियों की आधी बात को समझा, पूरी को नही समझ पाए..

तो आज के समय में जब बार बार शिक्षकों (अधिकतम) , आध्यात्मिक गुरुओं (अधिकतम) व अन्य अध्ययन सामग्री📃 के माध्यम से यही बात जब व्यक्ति पढ़ना 😶🧾शुरू करता है, तो उसके जीवन में क्या क्या बदलाव आ रहे हैं, इस पर थोड़ा विचार कीजिये..

एक प्रसिद्ध कहावत है:-
जैसा देखेंगे👀 वैसा करेंगे, जैसा सुनेंगे 🦻वैसा बोलेंगे

कुछ गम्भीर प्रश्न हैं , जिनपर हमें गहन चिंतन करना होगा..🤔

1:- वर्तमान में अहिंसा के इस विकृत रूप को बार बार दिखा के क्या हम अपने देश में कायर पैदा नही कर रहे?

2:- बार बार अहिंसा के इस रूप को देखके – सुनके, क्या कोई व्यक्ति गलत का विरोध करेगा?

3:- अहिंसा के इस अर्थ की पुनरावर्ती होने पर क्या हम स्वयं की व अपनी माताओं व बहनों की दुष्टों से रक्षा कर पाएंगे?

एक बार जरा सोचिए , अपने विवेक व बुद्धि से एक प्रश्न ईमानदारी से स्वयं से पूछिए की जिस अहिंसा का हमें बार बार पाठ पढ़ाया जा रहा है, यदि इसको हमारी देश🇮🇳 की सेनाएं केवल 1️⃣ दिन के लिए लागूं कर दें, तो क्या हममें से कोई भी देशवासी जिंदा बच पायेगा???

नही ना, तो फिर क्यों भारत के लोगों को ये उल्टा अर्थ बताया जा रहा है, क्यों भारत में लोगों को शक्तिहीन बनाया जा रहा है…

आइये जानते हैं योगियों के जीवन में अहिंसा का क्या अर्थ था?

 

योग का प्रणेता हिरण्यगर्भ को माना जाता है, आदियोगी शिव को हम सभी योगी अपने इष्ट व आदर्श के रूप में देखते है

लेकिन क्या आपको पता है..

➡️ भगवान शिव ने कभी भी वर्तमान में जो अहिंसा का अर्थ प्रचलित है, उसका पालन नही किया, उन्होंने इस सृष्टि को बचाने के लिए स्वयं त्रिपुर, अंधकासुर व शंखचूड़ जैसे सैकड़ों राक्षसों की हत्या🤺 की थी।

 

➡️ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम महान कोटि के योगी थे, लेकिन धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने भी हथियार उठाये व ताड़का,सुबाहु, मारीच, कबंध तथा खर एवं दूषण जैसे कई दुष्टों का वध 🏹किया।

 

योगेश्वर श्री कृष्ण को योगियों की श्रेणी में सबसे अग्रणी स्थान दिया जाता है, उन्होंने अपने जीवन काल में यमलार्जुन (नलकूबर और मणिग्रीव) , वत्सासुर, बकासुर व पूतना जैसे कितने ही असंख्य दुष्टों को मौत के घाट 🏌️‍♂️उतारा था।

 

यहां तक कि धर्म की स्थापना के लिए हिंसा 🤺🤺का चुनाव करके महाभारत के माध्यम से लाखों अधर्मियों को मौत के घाट उतरवाया था।

ऐसे ही सैकड़ों योगी जिनको हम अपना आदर्श मानते हैं, उन्होंने हिंसा का रास्ता चुनके धर्म की स्थापना की तथा जगत में शांति का उदय 🌥️किया

लेकिन आज हमने अहिंसा की गलत परिभाषा को समाज में प्रचारित करके ना केवल अपने देश का अपितु अपने सभी गुरुओं व इष्ट देवों का भी घोर अपमान 🛃किया है।

इसी गलत अर्थ एक बड़ा फल हमें ये मिला कि इस महान भारत ने 1100 से भी अधिक वर्ष तक अलग अलग रूपों में डच, फ्रांसीसी, पुर्तगाली,मुगल व अंग्रेजों का की गुलामी झेली📛

*हम कायरता के कारण ईश्वर का इंतज़ार♍ करते रहे गए और दुष्ट इस देश को लूट के चले गए।
(सोमनाथ मंदिर ☸️में क्या हुआ था इस बात से आप सभी भली भांति परिचित हैं)

 

दुख की बात ये है कि ये सिलसिला आज भी जारी है, मेने कई धार्मिक गुरु🛃 ऐसे देखे हैं जो ये कहते हैं कि दुनियादारी से मतलब मत रखो, आंख बंद करके ध्यान करते रहो, जो गलत हो रहा है उस पर ध्यान मत दो, सुधारना तुम्हारा काम नही है, वो ईश्वर पर छोड़ दो, तुम्हारा जन्म तो केवल मुक्ति के लिए हुआ है।

कई महानुभाव (जिनके हज़ारों फॉलोवर्स हैं) तो ऐसा ज्ञान🔰 देते हैं कि गलत के खिलाफ बोलने वाले व उसके खिलाफ लड़ने वालों को मोक्ष नही मिलता।
इसी श्रेणी में वो आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि श्री कृष्ण जी को मोक्ष नही मिला क्योंकि उन्होंने युद्ध ⚜️किया था

क्या मूर्खता है ये😠,,क्या पागलपन है 💤ये,, क्या सिखाया जा रहा है हमारे देश के लोगों🚻 को?

मैं अपने इस लेख में ये बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाह रहा हूँ कि मैं किसी भी प्रकार की हिंसा को उचित नही ठहरा❎ रहा, आज इस देश में संवैधानिक व्यवस्थाएं हैं, पुलिस प्रशासन दिन रात अपने देश के लोगों की रक्षा करने में लगा हुआ है। कानून अपना कार्य बड़ी जीम्मेवारी से सम्भाल रहा है।

लेकिन प्रश्न ❓ये है कि क्या राष्ट्रविरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमें सदैव मजबूत नही रहना चाहिए, सदैव तैयारी नही रखनी चाहिए?

हमारे घर में यदि चोर लुटेरे घुस गए औऱ हमला करने वाले हैं तो क्या हम पुलिस👮‍♂️ के इंतज़ार में खड़े रहेंगे या पूर्ण शक्ति लगाके उनसे युद्ध करेंगे?

इसलिए स्वयं को तैयार कीजिये, अपनी मातृभूमि पर आए हर संकट पर जबरदस्त प्रहार करने के लिए खड़े हो जाइए।
संगठित हो जाइए👩‍👩‍👧‍👦

अहिंसा की ठीक परिभाषा को अपने जीवन में आत्मसात कीजिये:- अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च
अहिंसा परम धर्म है, लेकिन धर्म की स्थापना के लिए की गई हिंसा भी अहिंसा ही है।

आइये हम सब मिलके यम के पहले अंग की ठीक-ठीक परिभाषा को समाज के सामने रखें व अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु योग बल के साथ🕉️ सदैव तैयार खड़े रहें..

 

धन्यवाद सहित
नीरज मेधार्थी
8708054063

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